Kavyashastra(Poetic)-काव्यशास्त्र
काव्यशास्त्र (Poetic)
(10) धनंजय
धनंजय धारा नरेश मुंजराज के सभा पण्डित थे तथा इनका समय 10वीं शती का
उत्तरार्द्ध स्वीकार किया जाता है।
धनंजय ध्वनि विरोधी आचार्य थे तथा 'दशरूपक' नामक ग्रन्थ की रचना की।
धनंजय कृत 'दशरूपक' में चार प्रकाश तथा लगभग 300 कारिकाएँ हैं।
धनंजय के भ्राता धनिक ने 'दशरूपक' की टीका 'अवलोक' नाम से लिखी।
(11) महिम भट्ट
महिम भट्ट कश्मीर के निवासी थे। इनके पिता का नाम श्री धैर्य तथा गुरु का नाम श्यामल था।
महिम भट्ट का समय 11 वीं शती का मध्यभाग स्वीकार किया जाता है।
महिम भट्ट ने ध्वनि मत के खण्डन के लिए 'व्यक्ति विवेक' नामक प्रौढ़ ग्रन्थ की रचना की।
'व्यक्ति विवेक' तीन विमर्शो (अध्यायों) में विभक्त है।
(12) भोजराज
भोजराज धारा प्रदेश के राजा थे। इनका समय 11वीं शती का पूर्वार्द्ध माना जाता है।
भोजराज ने 'सरस्वती कण्ठाभरण' तथा 'श्रृंगार प्रकाश' नामक दो ग्रन्थों की रचना की।
(13) मम्मट
मम्मट का जन्म कश्मीर में हुआ था तथा इनके पिता का नाम 'कैयट' था।
मम्मट का समय 11वीं शती का उत्तरार्द्ध स्वीकार किया जाता है।
मम्मट ने 'काव्य प्रकाश' नामक ध्वनि-विरोधी ग्रन्थ की रचना की। जिसमें कुल
10 उल्लास (अध्याय) है।
(14) क्षेमेन्द्र
कश्मीर निवासी क्षेमेन्द्र का समय 11वीं शती का उत्तरार्द्ध स्वीकार किया जाता है।
इनके पिता का नाम प्रकाशेन्द्र था।
क्षेमेन्द्र को 'औचित्य सम्प्रदाय' का प्रवर्तक माना जाता है।
क्षेमेन्द्र के शिक्षा गुरु अभिनव गुप्त थे।
क्षेमेन्द्र ने निम्नलिखित ग्रन्थों की रचना की-
(1) कविकण्ठाभरण (2) औचित्य विचार चर्चा (3) सुवृत्त तिलक (4) दशावतार चरित।
(15) रुय्यक
कश्मीर निवासी रुय्यक के पिता का नाम राजानक तिलक था। राजानक तिलक
ने उद्भट के ग्रन्थ पर 'उद्भट-विवेक' नामक से टीका लिखी।
रुय्यक का समय 12वीं शती का पूर्वार्द्ध था तथा ये महाकवि मंखक के काव्य गुरु थे।
रुय्यक ने 'अलंकार-सर्वस्व' नामक एक मौलिक ग्रन्थ की रचना की।
(16) शोभाकार मित्र
शोभाकार मित्र का समय 12वीं शती का उत्तरार्द्ध था ये कश्मीर निवासी त्रयीश्वर मित्र के पुत्र थे।
शोभाकार मित्र ने 'अलंकार रत्नाकर' नामक ग्रन्थ की रचना की।
(17) हेमचन्द्र
हेमचन्द्र गुजरात के राजा कुमारपाल के गुरु थे तथा 'काव्यानुशासन' नामक
ग्रन्थ का प्रणयन किया।
हेमचन्द्र के दो शिष्य- रामचन्द्र तथा गुणचन्द्र ने सम्मिलित रूप में 'नाट्य-दर्पण'
नामक ग्रन्थ की रचना की।
रामचन्द्र को 'प्रबन्धरशतकर्ता' की उपाधि से भी मण्डित किया जाता है।
(18) शारदा तनय
शारदा तनय का समय 13वीं शती का मध्यभाग स्वीकार किया जाता है तथा
ये कश्मीर के निवासी थे।
शारदा तनय ने 'भाव प्रकाशन' नामक ग्रन्थ की रचना की। इसमें 10 अधिकार (अध्याय) है।
(19) जयदेव
जयदेव मिथिला के निवासी थे तथा इनका समय 13वीं शती का उत्तरार्द्ध स्वीकार किया जाता है।
जयदेव साहित्य के क्षेत्र में 'पीयूषवर्ष' तथा न्याय के क्षेत्र में 'पक्षधर' उपाधि से प्रख्यात थे।
जयदेव ने 'चन्द्रालोक' नामक अलंकार शास्त्र की रचना 10 मयूखों तथा 35 अनुष्टुप् श्लोकों में की।
(20) विश्वनाथ कविराज
विश्वनाथ कविराज उत्कल (उड़िया) के राजा के 'सान्धिविग्रहिक' थे। इनके पिता का नाम
चन्द्रशेखर था।
विश्वनाथ का समय 14वीं शती का पूर्वार्द्ध स्वीकार किया जाता है।
आचार्य विश्वनाथ ने 10 परिच्छेदों (अध्यायों) में 'साहित्य दर्पण' नामक प्रसिद्ध ग्रन्थ की रचना की।
(21) विद्याधर
विद्याधर ने काव्य प्रकाश की शैली में 'एकावली' नामक ग्रन्थ की रचना की।
विद्याधर का समय 14वीं शती का पूर्वार्द्ध माना जाता है।
(22) विद्याधर
विद्याधर ने काव्य प्रकाश की शैली में 'एकावली' नामक ग्रन्थ की रचना की।
विद्याधर का समय 14वीं शती का पूर्वार्द्ध माना जाता है।
(22) विद्यानाथ
विद्यानाथ दक्षिण भारत के काकतीय नरेश प्रतापरुद के दरबार में रहते थे। इनका
समय 14वीं शती का पूर्वार्द्ध माना जाता है।
विद्यानाथ ने 'प्रतापरुद्र यशोभूषण' नामक ग्रन्थ की रचना 9 प्रकरणों में की।
(23) अप्पय दीक्षित
अप्पय दीक्षित दक्षिण भारत के प्रसिद्ध शैव दर्शनिक थे। इनका समय 16वीं शती
का अन्तिम चरण माना जाता है।
अप्पय दीक्षित ने 'वृत्ति-वर्तिक, 'चित्रमीमांसा' तथा 'कुवलयानन्द' नामक ग्रन्थ की रचना की।
(24) पण्डित राज जगन्नाथ
पण्डितराज जगन्नाथ जात्या आन्ध्र ब्राह्मण थे तथा पेद्द भट्ट के पुत्र थे। इनका समय
17वीं शती का प्रथम चरण माना जाता है।
पण्डितराज जगन्नाथ ने 'रसगंगाधर' नामक प्रौढ़ ग्रन्थ की रचना की।